सुप्रीम कोर्ट का सवाल: मेडिकल सीटों पर दाखिले में ओसीआई छात्रों से बेरुखी क्यों?

News Desk : Delhi

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब दूसरे देश के नागरिकों को बुलाकर भारत की नागरिकता दी जा सकती है, तो प्रवासी भारतीय नागरिकों (ओसीआई) के साथ अलग रवैया क्यों? शीर्ष अदालत ने सरकार से ओसीआई छात्रों को मौजूदा शिक्षण सत्र के लिए खुली श्रेणी की सभी मेडिकल सीटों पर भारतीय नागरिकों की तरह प्रवेश देने पर विचार करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे छात्रों को सिर्फ एनआरआई छात्रों की सीटों या कोटा तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने गृह मंत्रालय की 4 मार्च की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर यह अंतरिम आदेश पारित किया है। अधिसूचना में अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा जैसे नीट, संयुक्त प्रवेश परीक्षा में ओसीआई को अनिवासी भारतीय (एनआरआई) के बराबर रखा गया था, जिससे वे केवल एनआरआई सीटों के लिए आवेदन करने के योग्य थे। 

पीठ ने केंद्र सरकार की एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, जब आप पड़ोसी देशों से गैर भारतीयों को भारत में नागरिकता दे सकते हैं, तो ओसीआई तो कहीं अधिक भारतीय हैं। भारत समावेशी उसूलों के लिए जाना जाता है। आप देखें कि आपका सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) क्या करता है। यह गैर-नागरिकों को भी इस देश का नागरिक बनाता है।

एएसजी भाटी ने किया अधिसूचना का बचाव
एएसजी भाटी ने 4 मार्च की अधिसूचना का बचाव करते हुए कहा कि ओसीआई तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा में सीमित संख्या में सीटों के लिए एनआरआई के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे और उनकी फीस संरचना भी एनआरआई की तरह होगी। भाटी ने कहा कि ओसीआई के साथ असाधारण विचार नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता छोड़ने का निर्णय लिया है और एनआरआई के विपरीत किसी अन्य राष्ट्र के प्रति निष्ठा को अपनाया है। एनआरआई भारतीय नागरिक बने हुए हैं।

पीठ ने कहा, ओसीआई भी भारतीय मूल के
भाटी की दलील पर पीठ ने कहा, ओसीआई भी भारतीय मूल के हैं, बाहरी नहीं हैं। उन्होंने हमारे देश के लिए डॉलर भेजे हैं, लेकिन उनमें से कई के पास एनआरआई की तरह पैसे नहीं हैं। उनकी एक जायज उम्मीद थी, लेकिन अचानक आपने वह लाभ वापस ले लिया। इस तरह की अधिसूचना को पहली नजर में मनमाना घोषित किया जा सकता है, भले ही अवैध घोषित न किया जा सके। जस्टिस नजीर ने कहा कि सरकार के पास इस तरह की अधिसूचना जारी करने की शक्ति हो सकती है, लेकिन अचानक इसे लागू किया गया था, जिससे समस्याएं पैदा हुईं। 

Posted by: Team India Advocacy